पाकिस्तान से संदेश मिलते ही आतंकी साजिश रचने में जुट जाता था यह खंखार शख्स

- दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा पकड़ा गया खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) का खूखार आतंकी गुरसेवक ने तिहाड़ जेल में बंद रहने के दौरान दिल्ली में एक बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से एके-47 और गोला- बारूद की तस्करी करने की साजिश रची - थी, लेकिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी साजिश नाकाम कर दी थी। पाकिस्तान में रहने वाले खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह के निर्देश पर गुरसेवक आपराधिक गतिविधियों क ो अंजाम दता थ। । बबला न ले अपनी आधी जिंदगी (लगभग 26 साल) देश की अलग-अलग जेलों में काटी है। गुरसेवक वर्ष 1985 में राजस्थान भीलवाडा रेलवे स्टेशन पर पुलिस हिरासत से उस समय भाग गया था, जब उसे जयपुर कोर्ट में पेशी के लिए जाया जा रहा था। 1986 में उसने साथियों के साथ मिलकर जालंधर के पीएपी कॉम्प्लेक्स में पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरियो के आवास पर हमला किया था। उसी वर्ष उसने साथियों के साथ मिलकर पंजाब पुलिस के 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की। गुरसेवक व उसके साथी पंजाब के एक पुलिस स्टेशन पर हमला बोल वहां से 16 राइफल, 6 कार्बाइन, कारतूस, दो रिवाल्वर, पुलिस की जीप और एक फिएट कार लेकर भाग गए थे और पंजाब में एक ही परिवार के सभी 9 सदस्यों की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसे दबोचा गया और अधिकांश समय तक तिहाड़ जेल के हाई रिस्क वार्ड में वर्ष 2004 तक (लगभग 18 वर्ष) रहा। इस दौरान वह कई बार जमानत पर जेल से बाहर गया 2004 में जब गुरसेवक को पंजाब पुलिस तीस हजारी कोर्ट में पेश करने ले जा रही थी तो वह दोबारा पुलिस हिरासत से भाग गया था। बाद में लुधियाना पुलिस ने उसे पंजाब से गिरफ्तार कर लिया था। 2010 में जेल से बाहर आने के बाद वह डकैती के कई मामलों में शामिल रहा और लुधियाना पुलिस द्वारा वर्ष 2014, 2015 और 2016 में तीन बार गिरफ्तार किया। 2017 में फिर उसे क्राइम ब्रांच ने दिल्ली से आर्मस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया। जानकारी के मुताबिक, केसीएफ का सदस्य गुरसेवक सिंह उर्फ बबला पिछले 33 सालों से अपराध की दुनिया में है। 1986 में पहली बार बबला को लुधियाना-संगरूर बार्डर पर एक गांव से गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से 2000 तक वह लगातार पुलिस कस्टडी या न्यायिक हिरासत में रहा। उस पर सौ से ज्यादा केस दर्ज हैं। 28 मार्च 1986 को बबला ने दरेसी ग्राउंड में कई लोगों की सामूहिक हत्या की थी। उसके बाद गुरदासपुर के काहनूवान में बस पैसेंजर की सामूहिक हत्या के आरोप उस पर हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2000 के बाद बबला ने पटियाला की नाभा जेल में रहते हुए भागने की योजना बनाई थी। उसकी मां गुरदियाल कौर ने पंजाब के तत्कालीन डीजीपी को गुप्त खत लिखकर आशंका जताई थी कि बबला पुलिस की गिरफ्त से भाग सकता है। जेल में एक भेंट के दौरान उसने बातचीत में ऐसी बात कही थी। 28 दिन बाद बबला की मां ने आरोप लगाया था कि जेल स्टाफ की मिलीभगत से उसका बेटा भागा है, जो उसने जेल में भेंट के दौरान उसे कहा था। उसकी मां ने उस वक्त कहा था कि अपने बेटे को किसी मुसीबत में नहीं देखना चाहती, इसलिए उसने उच्च पुलिस अधिकारियों को उसके भागने की योजना की जानकारी दी थी। 9 जुलाई 1998 को क्राइम ब्रांच ने पंजाबीबाग से गुरसेवक समेत दो आतंकियों को गिरफ्तार कर उनके पास से 18 किलोग्राम आरडीएक्स, एके -47, 100 कारतूस, 5 पत्रिका, दो पिस्टल, 10 फ्यूज, 8 हैंड ग्रेनेड, बैटरी, डेटोनेटर व 4 एबीसीडी टाइमर बरामद किए। थे। - - - -